ASKING QUESTIONS
- Rekha Khatwani
- Mar 25, 2021
- 2 min read
Another tool from Access Consciousness- Asking questions

ये सवाल पूछना आख़िर होता क्या है? और सवाल पूछने से होता क्या है?
तो जब आप सवाल पूछने का चुनाव करते हैं तो यह ज़ाहिर सी बात हो जाती है कि आप सम्भावनाओं में दिलचस्पी रख रहे हैं बजाए कि निष्कर्षों में
उदहारण के लिए -
अगर आपको कोई चीज़ पसंद आई और आप उसे ख़रीदना या पाना चाहते है और आपके पास पैसे नहीं।
आप सवाल पूछेंगे जैसे कि - मैं क्या करूँ या होऊँ जिससे मुझे ये चीज़ मिले पूरी आसानी से?
बजाए कि निशकर्षों में रहने की- जैसे कि 'ये सम्भव नहीं है कि ये मुझे मिले'/ इतने पैसे मेरे पास नहीं / इसे पाने के लिए बहुत मेहनत लगेगी।
जब आप सवाल पूछने का चुनाव करते हैं आप अपनी दुनिया को बड़ा करते हैं और उस चीज़ के लिए जगह बनाते हैं जो आप चाहते हैं।
ये आपका चुनाव है आपको आपकी दुनिया सीमाओं से भारी चाहिए या सम्भावनाओं से भरपूर या यूँ कहें कि आपको आपकी ज़िंदगी ऐसी चाहिए जो यह सीमाओं के बारे में, आपकी क्या सीमाएँ हैं, कौन सी सीमाओं के बाहर आप नहीं जा सकते या फिर मैं ओर क्या चुन सकती हूँ जो मैंने कभी नहीं चुना? मैं क्या चुन सकती हूँ होना जो मैंने कभी नहीं चुना होना?
आप ही हैं जो अपनी सीमाओं को बरकरार रख सकते हैं और उन्हें बना सकते हैं और उन्हें बिगाड़ या नष्ट भी कर सकते हैं।
आपके चुनावों से निश्चित होती है कि आपकी ज़िंदगी कैसी होगी ओर उसमें क्या होगा।
चाहे आप माने या ना, हर क्षण आप चुन रहे हैं और आपके पास हमेशा विकल्प हैं की आप क्या छन्ना चाहते है
चुनने की योग्यता आपके हज़ारों उपहारों में से एक है जो सृष्टि ने हमें दिए हैं।
सृष्टि के कोई विचार नहीं उसके प्रति कि आप क्या चुन रहे हैं या क्यों
ये बस आपको देखती है ओर कहती है- अच्छा तुम्हें ये चाहिए? अच्छा तुम ये चुन रहे हो? ठीक है।
और जब आप सवाल पूछते हैं आप अपनी दुनिया के दरवाज़े खोलते हैं ताकि सृष्टि उसे सम्भावनाओं से भर सके और आपके पास और ज़्यादा विकल्प और ज़्यादा सम्भावनाएँ हो।
तो आप क्या चुनेंगे?
सवालों की लड़ी या निशकर्षों का जाल?
आपके पास विकल्प है। कल भी थे। कल भी रहेंगे।
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- REKHA KHAtWANI
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